bhartiya savidhan ki visheshta in hindi 2021,

 bhartiya samvidhan ki visheshta in hindi 2021,

दोस्तों आज हम बात करेंगे भारत के संविधान की विशेषताओं के बारे में मेरे कुछ भाई गूगल पर ढूंढ रहे हैं कि भारतीय संविधान की विशेषताएं क्या है तो उनको देखते हुए आज मैंने पोस्ट लिखी है भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं जो कि हिंदी भाषा में लिखी है दोस्तों आपको बिल्कुल सरल और सटीक तरीके में नीचे बताया गया है भारत के विशेषताएं क्या है तो ज्यादा दे रही ना करते हुए पोस्ट को पूरा पढ़ लेते हैं।


About post,

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम सुनील कुमार मीणा और आप सभी का हार्दिक अभिनंदन है आपकी अपनी इस छोटी सी वेबसाइट पर जैसा की आप सभी को पता है कि मैं पिछले कुछ सालों से आपके लिए ऑनलाइन जानकारी इस वेबसाइट के माध्यम से लेकर आ रहा हूं जो एजुकेशन ब्लॉगिंग ऐडसेंस यूट्यूब पैसे कैसे कमाए आदि से संबंधित होती है ठीक उसी प्रकार मैंने एजुकेशन केटेगरी में एक पोस्ट पब्लिश की है जिसका टाइटल है कि भारतीय संविधान की विशेषताएं।


भारतीय संविधान की विशेषताएं।


1. संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न संविधान

2. प्रस्तावना

3. विश्व का सबसे विशाल संविधान

4. लिखित एवं निर्मित संविधान

5. संसदीय शासन व्यवस्था

6. मौलिक अधिकार व कर्तव्य

7. राज्य के नीति निर्देशक तत्व

8. समाजवादी राज्य

9. व्यस्क मताधिकार.

10. पंथनिरपेक्षता

11. विलक्षण दस्तावेज

12. एकात्मक एवं संघात्मक तत्वों का अद्भुत संयोग

13. स्वतंत्र न्यायपालिका

14. कठोरता में लचीलापन का मिश्रण,

15 न्यायिक पुनरावलोकन व संसदीय संप्रभुता का समन्वय,

16. विश्व शांति का समर्थक,

17. आपातकालीन उपबंध

18. इक हरी नागरिकता,

19. लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श,

20, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था,


Savidhan ki प्रस्तावना
Savidhan ki puri visheshta,


भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का व्याख्या कीजिए,


1.संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न संविधान

भारत का संविधान लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान है अर्थात यह भारतीय जनता द्वारा निर्मित है इस संविधान द्वारा अंतिम शक्ति भारतीय जनता को प्रदान की गई है भारत की संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि हम भारत के लोग इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित बात मारपीट करते हैं।


2. प्रस्तावना

भारतीय संविधान के मौलिक उद्देश्य और लक्ष्य को संविधान की प्रस्तावना में दर्शाया गया है इसी बीच

 डॉक्टर के एम मुंशी ने इस संविधान की राजनीतिक कुंडली कहा है

इसके महत्व को देखते हुएप्रस्तावना को संविधान की आत्मा भी कहा जाता है प्रस्तावना की शुरुआत में हम भारत के लोग से अभिप्राय है कि अंतिम प्रभुसत्ता भारतीय जनता में निहित है यह संविधान की मुख्य विशेषता है।


3.विश्व का सबसे विशाल संविधान

दोस्तों भारत के लिए यह बड़े ही गर्व की बात है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है जिस प्रकार अमेरिका के संविधान में 7 अनुच्छेद है कनाडा के संविधान में 128 अनुच्छेद और दक्षिण अफ्रीका के संविधान में 153 अनुच्छेद हैं वही हमारा संविधान व्यापक व विस्तर संविधान है इसमें 395 अनुच्छेद 22 भाग 12 अनुसूचियां है तथा पांच परिशिष्ट सूचियां हैं इसमें अब तक 104 संशोधन हो चुके हैं वह संशोधन की प्रक्रिया अभी भी अनवरत जारी है।


4. लिखित एवं निर्मित संविधान

दोस्तों भारत के संविधान को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने हाथों से स्वयं में ही लिखा है कहीं से भी कॉपी पेस्ट करने का कार्य नहीं किया गया है यह भी हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है। भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित एवं लिपि बंद किया गया दस्तावेज है संविधान सभा ने इसे 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में तैयार किया गया था।


5. संसदीय शासन व्यवस्था

दोस्तों भारतीय संविधान के अंदर सभी समस्याओं का समाधान है हम जानते हैं कि भारत एक लोकतंत्र आत्मक देश हैं और इसमें राष्ट्रपति का पद गरिमा का पद होता है उसकी स्थिति संविधानिक प्रदान की होती है वास्तविक सत्य मंत्रिमंडल के द्वारा प्रयोग की जाती है संसद का विश्वास समाप्त होने पर मंत्रिमंडल को त्यागपत्र देना पड़ता है इस व्यवस्था से प्रधानमंत्री ही मंत्रिमंडल का नेतृत्व करता है।


6. मौलिक अधिकार व कर्तव्य

भारतीय संविधान में नागरिकों के मूल मूल अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है संविधान निर्माताओं ने 7 मौलिक अधिकार देश के नागरिकों को दिए थे पहला था समता का अधिकार दूसरा था स्वतंत्रता का अधिकार तीसरा का शोषण के विरुद्ध अधिकार सोता था धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार पांचवा का संस्कृति व शिक्षा संबंधी अधिकार छठा, संवैधानिक उपचारों का अधिकार व सातवा मौलिक अधिकार था संपत्ति का अधिकार

नोट 44 वें संविधान संशोधन के तहत संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से हटा दिया गया है।


7. राज्य के नीति निर्देशक तत्व

आयरलैंड के संविधान से प्रेरित होकर संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक तत्व का वर्णन किया गया है राज्य के नीति निर्देशक तत्व वे विचार है जो भविष्य में बनने वाली सरकारों के समक्ष पथ प्रदर्शक की भूमिका निर्वाहन करते हैं यद्यपि इनके क्रियान्वयन के लिए सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता यह न्यायालय के बाद योग्य भी नहीं होते लोक कल्याणकारी राज्य के लिए आवश्यक होने के कारण किसी भी सरकार द्वारा इनकी उपेक्षा करना संभव नहीं है।





8. समाजवादी राज्य

42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारत को समाजवादी गणराज्य घोषित किया गया था लेकिन मूल संविधान में यह शब्द प्रयुक्त नहीं था प्रस्तावना में यह शब्द भारतीय राजव्यवस्था को एक नई दिशा दिए जाने की भावना को दृष्टिगत रखकर जोड़ा गया है।


9. व्यस्क मताधिकार.

हमारे देश के संविधान में 18 वर्ष की आयु प्राप्त प्रत्येक नागरिकों को समान रूप से मताधिकार प्रदान किया गया है लेकिन मूल संविधान में आयु 21 वर्ष थी किंतु संविधान में 61 व संशोधन द्वारा आय सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।


10. पंथनिरपेक्षता

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार धर्म के क्षेत्र में प्रत्येक नागरिकों को स्वतंत्रता प्रदान की गई है धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं किया जा सकता राज्य का कोई एक अधिकारिक धर्म नहीं होगा संविधान राज्यों को अधिकृत करता है कि वह धर्म से जुड़ी कुरीतियों का निराकरण करने के लिए धार्मिक मामलों में मूल्य आधारित हस्तक्षेप करें और इस से ही प्रसिद्ध


 राजनीति शास्त्री राजीव भार्गव ने धर्मनिरपेक्षता का वसूली  फैसले का सिद्धांत का


11. विलक्षण दस्तावेज,

संविधान निर्माताओं की बुद्धिमता व दूरदृष्टि का प्रमाण है कि उन्होंने संविधान में जनता द्वारा मान्य आधारभूत मूल्यों व सर्वोच्च आकांक्षाओं को स्थान दिया हमारा संविधान एक विलक्षण दस्तावेज है दक्षिणी अफ्रीका ने तो इसे प्रतिमान के रूप में अपने देश का संविधान बनाने हेतु काम में लिया।


12. एकात्मक एवं संघात्मक तत्वों का अद्भुत 

संयोग

भारत एक संघात्मक राज्य है संविधान में संघ शब्द के स्थान पर union of state शब्द का प्रयोग किया गया संविधान के पहले अनुच्छेद में ही कहा गया है कि "भारत राज्यों का एकक" होगा जिसे प्रचलन में राज्यों का संघ भी कहा जाएगा संविधान निर्माताओं की आकांक्षा ऐसा संविधान बनाने की थी जिसमें केंद्र सरकार भारत की एकता को बनाए रखें तथा राज्यों को भी स्वायत्तता मिले। 


13. स्वतंत्र न्यायपालिका

संविधान की सर्वोच्चता प्रजातंत्र की रक्षा जनता के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय संविधान में कई संवैधानिक व्यवस्था की गई है भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है तथा उन्हें संसद में महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है कार्यपालिका के आदेश तथा व्यवस्थापिका के कानून यदि संवैधानिक व्यवस्थाओं का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन अवैध घोषित करने का अधिकार रखता है नागरिक के मूल अधिकार की रक्षा के लिए अनुच्छेद 32 के अंतर्गत पुनरावलोकन द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण अधिकार सुरक्षा जैसे लेखों को जारी किया जा सकता है न्यायिक स्वतंत्रता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह सभी व्यवस्था की गई है।


14. कठोरता में लचीलापन का मिश्रण,

यह स्वाभाविक है कि किसी भी देश की परिस्थितियों में बदलाव के साथ-साथ संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होती है संवैधानिक संशोधन के लिए भारतीय संविधान में संशोधन विधि अनुच्छेद 368 में दिए गए हैं संविधान संशोधन व्यवस्था कुछ भागों के संबंध में कठोर तो कुछ से मेला चली रखी गई है


संविधान में कठोरता का समावेश संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान व लचीलापन का ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है भारतीय संविधान में संशोधन की कुल 3 विधियां हैं जिनमें से पहले विधि का वर्णन अनुच्छेद 368 में नहीं है

पहली विधि

संविधान के कुछ भागों में संसद के दोनों सदनों के साधारण बहुमत से संशोधन किया जाता है जैसे राज्यों का पुनर्गठन राज्यों में विधान परिषद की स्थापना या समाप्ति केंद्र प्रशासित क्षेत्र बनाना संसद सदस्यों की वेतन आदि।

दूसरी विधि।

कुछ विषयों में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों के पूर्ण बहुमत व उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

तीसरी विधि

कुछ विषयों में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों के पूर्ण बहुमत उपस्थित सदस्यों की दो तिहाई बहुमत के अतिरिक्त कम से कम आधे राज्यों की विधान मंडलों का समर्थन होना आवश्यक है जैसे राष्ट्रपति निर्वाचन की पद्धति केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति विभाजन आदि विश्व के संशोधन के लिए यह जटिल प्रक्रिया अपनाई जाती है।



15 न्यायिक पुनरावलोकन व संसदीय संप्रभुता का समन्वय,

भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन के सिद्धांत व संसदीय संप्रभु सप्ताह के मध्य मार्ग को अपनाया गया है हमारे संविधान में संसद को सर्वोच्च बनाया गया है साथ ही उस को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने का अधिकार प्रदान किया गया है न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय कार्यपालिका के आदेशों तथा संसद द्वारा निर्मित विधि को अवैध घोषित कर सकता है जो संविधान की भावना के खिलाफ  हो।


16. विश्व शांति का समर्थक,

भारत का संविधान इस विशेषता का बहुत ही बड़ा पथ प्रदर्शक रहा है क्योंकि भारत किसी भी देश का हनन नहीं चाहता और ना ही खुद की देश का हनन चाहता है वह सबका विकास में अपना विकास आता है।


17. आपातकालीन उपबंध

भारतीय संविधान के अंदर भाग अट्ठारह में आपातकालीन उप बंधुओं को स्पष्ट किया गया है 


अनुच्छेद 352 के अनुसार बाहरी आक्रमण 

सशस्त्र विद्रोह एवं युद्ध की स्थिति में आपातकाल लागू किया जा सकता है,


अनुच्छेद 356 के अनुसार राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में आपातकाल लागू किया जा सकता है।


अनुच्छेद 360 के अनुसार देश में वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर संपूर्ण देश विदेश के किसी भाग में आपातकाल लागू किया जा सकता है।


18. इक हरी नागरिकता,

भारतीय संविधान द्वारा संघात्मक शासन की व्यवस्था की गई है और सामान्यतया संघ राज्य के नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त होनी चाहिए थी प्रथम संघ की नागरिकता द्वितीय राज्य की नागरिकता लेकिन भारतीय संविधान निर्माताओं का विचार था कि यदि देश में दोहरी नागरिकता अपना ली जाएगी तो यह नागरिकों की स्वतंत्रता में बाधक होगे संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान में संघ राज्य की स्थापना करते हुए एक हैरी नागरिकता को आदर्श ही अपनाया गया।


19. लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श,

संविधान के नीति निर्देशक तत्व से यह स्पष्ट हो जाता है कि संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान के माध्यम से कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श निश्चित किया गया है इस हेतु केंद्र व राज्य सरकार नागरिकों को पौष्टिक भोजन आवास वस्त्र शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा नागरिकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाएगा जहां तक संभव हो आर्थिक समानता की स्थापना भी की जाएगी।


यह भी जाने,

समानता के प्रकार क्या है ।


20, अल्पसंख्यक एवं पिछड़े वर्गों के कल्याण की विशेष व्यवस्था,

दोस्तो यह भारतीय संविधान की अंतिम विशेषता है इसमें होता क्या है कि कुछ जातियां अनुसूचित जनजातियां जो पिछड़ी हुई है उन्हें आरक्षण देखकर भारत सरकार उन्हें ऊंचा उठाएगी ताकि देश का विकास हो सके और वह जनजातियां स्वयं अपना विकास कर सके।


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आप। के लिए,

मैं उम्मीद करता हूं कि दोस्तों आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आई होगी क्योंकि मैंने इस पोस्ट के अंदर भारतीय संविधान की विशेषताओं का व्याख्यान किया है जो राजस्थान बोर्ड के स्टूडेंट को के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है तो दोस्तों अब मिलते हैं अगले पोस्ट में एक नई जानकारी के साथ तब तक के लिए राम राम